हालत खस्ता... आंगनबाड़ी केंद्र पर लगा रहता है ताला, शिकायत के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई-Banka News

रिपोर्ट: उमाकांत साह
(लापरवाही से आंगनबाड़ी केंद्र बना खस्ता हाल)
चांदन. प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारू ढंग से चलाने और छोटे-छोटे नोनीहाल बच्चों को कुपोषित दूर करने ,गर्भवती धात्री महिलाओं को समय-समय पर पोषण तत्व (टेक हाॅम) राशन वितरण को लेकर ग्राम प्रधान के द्वारा चयन किए गए,आंगनबाड़ी सेविका की लापरवाही इस कदर हावी हो गया है, कि संबंधित पदाधिकारी को शिकायत करने के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रही है। जिससे संबंधित क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी की सामना करनी पड़ रही है।जबकि सरकार बच्चों को कुपोषित मुक्त ,और शिक्षित करने के लिए हर साल लाखों रुपए खर्च कर रही है। लेकिन यह सिर्फ कागजी आंकड़ों में सीमेंट कर रहने कि बात बताई जा रही है।जिससे साफ जाहिर होता है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारी मामले से अनजान बन जा रहे हैं. ऐसे ही मामला चांदन प्रखंड के को कुमुजोरी पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 43 डढ़वा, सुरंगी गांव से सामने आई है. ग्रामीणों ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के लिए कभी भी खाना नहीं बनता है. ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र खुलता भी नहीं है। जबकि आंगनबाड़ी केंद्र में कुल 40 बच्चे हैं. जो कुपोषित का शिकार के साथ साथ अशिक्षित बनती जा रही हैं. बावजूद इस संबंध में बाल विकास परियोजना (प्रशासन) को कोई ध्यान नहीं है. कुछ महिलाओं ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताई की आंगनबाड़ी केंद्र महीने में दो-तीन दिन खुलता है. बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र के लिए घर से निकलते हैं लेकिन खेल कूद कर भूखे प्यासे घर वापस चले जाते हैं।
आगे बताया कि केंद्र संख्या 43 के आंगनबाड़ी सेविका आशा भारती एवं सुरंगी के सेविका ईंदू देवी अक्सर देवघर में रहती है. जो कभी कभार आती है.देर सबेर आंगनबाड़ी केंद्र खोलती है. इस बाबत बाल विकास परियोजना के पर्यवेक्षक मोनिका कुमारी ने बताई की आंगनबाड़ी नहीं खुलने की शिकायत लोगों द्वारा कर चुकी है। पुनः जांच पड़ताल कर विधि संवत आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका के खिलाफ जांच रिपोर्ट तैयार कर अग्रतर कार्रवाई की जाएगी।