बिहार के शिक्षा विभाग में एक पाठक आए ,निरीक्षण वाले क्या सभी पाठक बन जाएंगे?

बिहार के शिक्षा विभाग में एक पाठक आए ,निरीक्षण वाले क्या सभी पाठक बन जाएंगे?

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_ठाकुर रमेश शर्मा_
_रामनगर पश्चिमी चंपारण (बिहार)_ _दिनांक 20-07-2023_

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी इस पांच साल के अंतिम दिनों में एक शिक्षा विभाग में अच्छी पहल करके एक अच्छे आई एस को लाए ठीक उसी प्रकार सभी महकमों में भ्रष्टाचार रोकने के लिए अच्छे पदाधिकारियों की अवश्यकता जरूर है परंतु ऐसा न हो कि जांच के नाम पर पाठक जी के आदेश के आलोक में लक्ष्मी नारायण के लिए भ्रष्टाचार रूपी उत्पीड़न न हो क्योंकि कतिपय अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न शुरू हो गया है।

विद्यालय निरीक्षण पर केवल शिक्षकों में ही कमी पाई जा रही है...इसलिए एक से बढ़ कर एक आदेश निकल रहे हैं ..कोई मोबाइल को हेडमास्टर के पास जमा कर परिवार का नम्बर हेडमास्टर को देने को कह रहा है तो कोई क्लासरूम से कुर्सी हटाने को कह रहा है..कोई बच्चों की उपस्थिति कम होने पर माइक लेकर गाँव में हल्ला मचाने को कह रहा है... तो कोई MDM में चावल का बोरा तौलने को कह रहा है... कोई शिक्षकों को दी गई छुट्टियों को भूल बताकर आनन-फानन में निरस्त कर रहा है ...तो कोई कहता है कि टीचर मोबाइल का इस्तेमाल बंद करें तो कोई कह रहे हैं कि मोबाइल पर सेल्फी लेकर हाजरी बनाइये ऊपर से निष्ठा,e-कोष,e-लाइब्रेरी, blo, गणना समेत दर्जनों app को चढ़ाइए।
खैर सब ठीक है ...लेकिन आश्चर्य है कि कोई ये नहीं आदेश निकाल रहे कि 3-4 कमरों में 8 से 10 वर्ग की कक्षा कैसे संचालित हो रही है ? स्कूलों का भवन जर्जर-कमजोर क्यों है ?बच्चों को 3-4 माह विलम्ब से किताब क्यों मिल रहा है ? सरकारी स्कूलों के किताबों में इतनी अशुद्धि क्यों पाई जा रही है ? स्कूलों में सभी विषयों के शिक्षक क्यों नहीं हैं ?शिक्षकों का वेतन एरियर में अनावश्यक विलम्ब क्यों होता है ? मामूली हजार रुपये कमाने वाले बाबू-अफसर तेजी से करोड़पति कैसे बन जा रहे हैं ? बिना विभागीय अनुमति के कुकुरमुत्ते की तरह स्कूल /कोचिंग संस्थान कैसे संचालित हो रहे हैं ? .............!
 इंतजार है कि इसपर भी अफसरों की कलम चले।
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